Tuesday, June 21

' ये चार कदम ! '


ठिकाना ?
न तुझे , न मुझे खबर ....
तू संग मेरे
चल सके अगर ,
फिर
चाहे कहीं
ले जाए डगर ______

" डगर , तो डगर है ....बस एक बार चल पड़ो ..फिर तो डगर खुद ही अपने साथ लेके हमें चल पड़ेगी "

फिर न मालूम मुझे
किस घड़ी ?
ख़त्म ये
ज़िन्दगी का सफ़र होगा .....

फिर जहाँ भी ______
जाए ठहर
'ये चार कदम '
वहीँ अपना ..' ठिकाना '
वहीँ अपने ...' ख़्वाबों का शहर ' होगा _____

Sunday, June 19

सफ़ेद तकिया |


    मैं सपने लिखता हूँ ,

    मैं सपनो में चलता हूँ ,

...मैं सपनों में रंग भरता हूँ

.मैं सपनों में तस्वीरें बनाता हूँ

    मैं सपनो में उड़ान भरता हूँ .



... जागने से डरता हूँ .....

.हर सुबह..

देखता हूँ उठते ही

मेरी करवटों से सिमटी

वो चादर

....और वो ...सिरहाने की ओर पड़ा ..

सफ़ेद तकिया ....

...जिसे देखते ही ये लगता की मेरे सपनो में भरे रंग .....कभी मेरी आँखों से छिटक के इस सफ़ेद तकिये पे गिरेंगे .......मेरी ज़िन्दगी में भी सपनों के पंख लगेंगे ....मेरे शब्द भी आकाश में उड़ेंगे ! मेरे शब्द भी आकाश में उड़ेंगे !

                 
ख्वाबो की गलियों में कुछ तस्वीरें बटोरनें चला था..  मन  की लहरों में डूबता ख्वाब मिला.. 
 A dream I got.. Drowning in the waves of soul..